Friday 26 August 2011

tumne kaha tha ...

कहा था तुमने
एक रोज़ हमसे
आओगे हमारे पास
सारे बंधन तोड़ के
साड़ी दुनिया छोड़ के
अब तलक बैठे हैं
लगाये उम्मीद
उस एक अदद  रस्ते से
जाने क्या बात है
जो टूटती नहीं है आस
कहा था तुमने
आओगे हमारे पास
गुज़र गए ज़माने
कितने मौसम सुहाने
कुछ बात ज़रूर थी
वो शाम थी ख़ास
जब तुमने कहा था
आँखों सी है ज़िन्दगी
फख्र हुआ था तब
ये सुन कर
लेकिन आज सोचता हूँ
काश
उस रोज़ समझ गया होता
के तुम आँखों का
पानी नहीं रंग देखती हो
पर जब समझ आया
देर हो चुकी थी
अब सिर्फ वो सूनी
पलकें है
और वो राहें हैं उदास ,
कहा था तुमने
एक रोज़ हमसे
आओगे हमारे पास...

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