Friday 7 November 2014

फुटकर माल...

1)
खोया - पाया
का इश्तेहार देखा,
याद आया ,
मैंने भी अरसे पहले,
एक इश्तेहार दिया था !
" खो गया हूँ मैं "
कहीं मिलूँ गर,
तो आ कर मुझे दे जाये,
इनाम,
ज़िन्दगी मेरी,
अब सोचता हूँ,
क्या मुझे,
कोई और भी
खोजता होगा ?

2)
सुनो ,
एक बात बताता हूँ आज,
धीरे से कान में,
इधर आओ,
हाँ,
अब सुनो,
बात ये है कि 
कल तक तुम
हमें बेहद अजीज़ थे ...
और दिल कहता है,
कल भी रहोगे,
पर दिल से बड़ा झूठा,
कौन हुआ है दुनिया में


3)
राह-ए -शौक की बस इतनी इन्तेहाँ है,
आज नज़र यहाँ है , कल को वहाँ है ... 

हकीकत क्या बयाँ करे तुमसे हम, 
सपनो का समंदर है , किश्ती में जहाँ है 

एक गुमां साथ है कब्र में अरसे से, 
मिटटी के पार जो था, अब वो कहाँ है ?

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